Saturday, December 6, 2025
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अति. मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने की राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम की समीक्षा

जयपुर । अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्रीमती शुभ्रा सिंह की अध्यक्षता में गुरूवार को राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत् गठित इंटर सेक्टरल कॉर्डिनेशन की स्टेट जोनोटिक कमेटी बैठक आयोजित हुई । एनएचएम एवं डपलपमेंट पार्टनर पाथ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बैठक में रेबीज नियंत्रण के लिए कारण, क्रियान्वित गतिविधियों और सहयोगी राजकीय विभागों, निजी संस्थानों व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किये जा रहे कार्याें पर विस्तार से चर्चा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

अति. मुख्य सचिव ने बताया कि रेबीज जानवरों द्वारा व्यक्ति को काटे जाने पर होने वाला एक जानलेवा रोग है और दुनियाभर में लगभग 59000 मौते रेबीज के कारण होती हैं। उन्होेंने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिसम्बर 2030 तक रेबीज उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश में इसकी प्राप्ति के लिए स्टेट, जिला एवं स्थानीय स्तरों पर प्रशासिक अधिकारियों की अध्यक्षता में विभिन्न सहयोगी विभागों की समन्वय कमेटी गठित कर रेबीज रोग के कारणों पर नियंत्रण व जनजागरूकता गतिविधियां आयोजित की जायेंगी। आमजन के साथ ही विशेषकर स्कूलों में बच्चों को रेबीज रोग होने के कारणों, बचाव व उपचार की जानकारियां व्यापक रूप से प्रचारित करने और आमजन के लिए रेबीज संबंधी कॉल सेंटर शुरू करने के निर्देश दिये। उन्होंने नगर निगम, नगर परिषद, एनीमल हसबेंड्री इत्यादि विभागों द्वारा कुत्ते, बिल्ली, बंदर इत्यादि रेबीज वायरस वाले जानवरों की मैपिंग करने, नसबंदी, निर्धारित समयानुसार वैक्सीनेशन करने के कार्य में गंभीरता बरतने के निर्देश दिये।

निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि रेबीज से बचाव के लिए कुत्ते, बंदर, बिल्ली, गिलहरी, ऊंट जानवरों द्वारा व्यक्ति को काटे जाने वाले स्थान को यथाशीघ्र कम से कम 15 मिनट तक साबुन-साफ पानी से घाव को अच्छी तरह धोना चाहिए साथ ही नजदीकी राजकीय चिकित्सा संस्थान में उपचार करवाना चाहिए। राजकीय चिकित्सालयों में रेबीज उपचार के लिए निःशुल्क उपचार उपलब्ध हैं एवं मेडिकल कॉलेज चिकित्सालयों में एंटी रेबीज क्लिनिक संचालित हैं जहां जानवरों के काट लेने पर उपचार व नर्सिंग स्टॉफ को रेबीज संबंधी प्रशिक्षण देने की सेवाएं उपलब्ध हैं। बैठक में निदेशक आरसीएच डॉ.लोकेश चतुर्वेदी, स्टेट नोडल अधिकारी रेबीज नियंत्रण डॉ.एम.एल सालोदिया, एसएमएस कॉलेज की वरिष्ठ माइक्रोबायोलोजिस्ट डॉ. भारती मल्होत्रा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रथम व दितीय, डपलपमेंट पार्टनर पाथ, वन विभाग, पशुपालन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, नगर निगम, एसएमएम मेडिकल कॉलेज, भेड-ऊन अनुसंधान संस्थान, इत्यादि विभागों के अधिकारीगणों ने भी अपनी उपलब्धियों का प्रस्तुतकरण किया

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