Saturday, December 6, 2025
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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में पीजी बैच 2025 के इंडक्शन कार्यक्रम का हुआ समापन

जयपुर, 29 नवंबर । राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के पीजी बैच 2025 में प्रवेश लेने वाले आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए आयोजित 23 दिवसीय इंडक्शन कार्यक्रम का संस्थान के ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के निदेशक प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति एवं राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा, शल्य तंत्र विभागाध्यक्ष प्रो. पी. हेमंथा कुमार, कुलसचिव प्रो. अनीता शर्मा, संयुक्त निदेशक जे.पी. शर्मा, डीन (पीजी) प्रो. गोपेश मंगल की उपस्थिति में हुआ।

मुख्य अतिथि प्रो. पी.के. प्रजापति ने अपने संबोधन में कहा कि पीजी स्तर की शिक्षा विद्यार्थियों के करियर और व्यक्तित्व में निर्णायक भूमिका निभाती है। उन्होंने शोध क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों, चिकित्सा सेवाओं में जिम्मेदारियों तथा आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाने की दिशा में विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को परिश्रम, अनुशासन और नवाचार के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने अपने उद्बोधन में संस्थान की शैक्षणिक उत्कृष्टता, आधुनिक तकनीक और संसाधनों के साथ आयुर्वेद में शिक्षा और चिकित्सा, संस्थान में रोगियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए हो रहे अनुसंधान और चिकित्सा के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्था का उद्देश्य केवल श्रेष्ठ चिकित्सक तैयार करना नहीं, बल्कि ऐसे शोधार्थियों को विकसित करना है जो भविष्य में आयुर्वेद के क्षेत्र में नई दिशा निर्धारित कर सकें। कुलपति ने विद्यार्थियों को नैतिकता, समर्पण और ईमानदारी को अपने करियर का आधार बनाने की सलाह दी।

डीन (पीजी) प्रो. गोपेश मंगल ने बताया कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में पीजी बेच 2025 में नव–प्रवेशित चिकित्सकों के लिए आयोजित इंडक्शन कार्यक्रम में आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा में स्नातकोत्तर अध्ययन की रूपरेखा, शोध के महत्व और संस्थान से जुड़ी चिकित्सा और शिक्षा की विस्तृत जानकारी आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा दी गई। समापन कार्यक्रम में संस्थान के समस्त डीन, विभागाध्यक्ष, चिकित्सा एवं शिक्षक मौजूद रहे। इस वर्ष के इंडक्शन कार्यक्रम में आयुर्वेद विशेषज्ञों द्वारा 50 सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। इनमें आयुर्वेद सिद्धांत, अनुसंधान पद्धति, चिकित्सकीय आचार, आधुनिक तकनीकी सहयोग, नैदानिक प्रबंधन और व्यक्तित्व विकास जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे। इन व्याख्यानों ने नव–प्रवेशित विद्यार्थियों को न केवल शैक्षणिक मार्गदर्शन दिया, बल्कि उच्च स्तरीय शोध एवं पेशेवर उत्कृष्टता के लिए प्रेरित भी किया।

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