जयपुर, 16 अक्टूबर । दीपावली पर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए केवल विधिवत पूजन ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे वास्तु शास्त्र के अनुरूप करना भी अत्यंत आवश्यक माना गया है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार यदि भवन का वातावरण संतुलित, स्वच्छ और ऊर्जावान हो, तो उसमें निवास करने वाले लोगों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यदि घर का वास्तु दोषपूर्ण हो तो व्यक्ति की आय में रुकावट, धन का अपव्यय, कर्ज का बोझ और बीमारियों पर अनावश्यक खर्च जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में दीपावली पर यदि घर की सफाई, प्रकाश व्यवस्था, शुभ चिन्ह, बंधनवार के साथ वास्तु अनुसार लक्ष्मी पूजन किया जाए तो वर्षभर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और रोग, शत्रु तथा कर्ज से मुक्ति मिलती है।
वास्तुशास्त्री एस के मेहता ने बताया कि वास्तु शास्त्र में भवन की स्वच्छता, प्रकाश एवं सजावट को विशेष महत्व दिया गया है। दीपावली पर पूरे घर की सफाई, रंग-रोगन, और दीपक और रोशनी से घर के हर कोने का आलोकित होना सकारात्मक ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देता है। मुख्य द्वार पर मांडने (रंगोली), स्वास्तिक और ‘शुभ-लाभ’ लिखना, दरवाजों पर बंधनवार बांधना, तथा लक्ष्मी-गणेश की मिट्टी की मूर्ति का पूजन अत्यंत शुभ माना गया है।
वास्तु के अनुसार विशेष पूजन दीपदान के उपाय में लक्ष्मी पूजन घर की उत्तर या पूर्व दिशा में करें। पूजा करते समय मुख भी इन्हीं दिशाओं की ओर रहे। पूजा में लक्ष्मी-गणेश की मिट्टी की मूर्ति, श्रीयंत्र और कुबेर यंत्र का पूजन विशेष लाभकारी है। भवन के अनुसार रोशनी के रंगों का चयन करें। पूर्व मुखी भवन में पीले बल्ब, दक्षिण मुखी में लाल बल्ब, पश्चिम मुखी में नीले एवं सफेद बल्ब, उत्तर मुखी में हरे एवं सफेद बल्ब अधिक रखें। भवन की ईशान दिशा में पटाखे नहीं चलाएं। क्योंकि यह दिशा पूजन और जल तत्व की होती है। अग्नि तत्व (पटाखे) के लिए आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) उपयुक्त मानी गई है।घर के कबाड़, रद्दी, बंद घड़ी या खराब वस्तुएं तुरंत हटा दें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। उत्तर दिशा में खुला स्थान, जल तत्व या फव्वारा रखना धनलाभ के लिए शुभ है। दीपावली के दिन मंदिर, मुख्य द्वार, आंगन, पीपल वृक्ष और चौराहे पर दीपक अवश्य जलाएं।वास्तु के अनुसार दीपावली पर किया गया यह पूजन न केवल आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है बल्कि पूरे वर्ष रोग, शत्रु और कर्ज से मुक्ति दिलाकर परिवार में सुख, शांति और खुशहाली का वातावरण बनाए रखता है।
वही रोग, शत्रु-कर्ज से मुक्ति के उपाय में मुख्य रूप से सोने का स्थान घर के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में होना चाहिए। धन और कीमती वस्तुएं नैऋत्य कोण में रखी अलमारी में उत्तर या पूर्व मुखी दिशा में रखें। उत्तर दिशा में भारी वस्तु न रखें; इसे खुला और प्रकाशयुक्त रखें ताकि शुभ ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। मकान में यदि आर्थिक संकट बढ़ जाए, तो नैऋत्य कोण को ऊंचा और भारी करवा देने से दोष दूर होते हैं। दीपावली के दिन गरीब कन्याओं को कपड़े एवं मिठाई का दान और बिल्ली को दूध या मिष्ठान खिलाना भी शुभ माना गया है।
