जयपुर, 16 जून । इंजीनियर्स कॉलोनी में चल रहे तीन दिवसीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का अंतिम दिन ज्ञान और मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं और आचार्य शशांक सागर महाराज ससंघ सानिध्य एवं बाल ब्रह्मचारी पंडित धर्मचंद शास्त्री और ब्रह्मचारी जिनेश भैया के निर्देश में प्रारंभ की गई। अष्ट द्रव्यों से विधान पूजन किया गया और तीर्थंकर मुनि अवस्था धारण कर आहार चर्या पर निकले। इस दौरान भगवान की माता सहित सुधर्म इंद्र, धनपति कुबेर इंद्र, महेन्द्र, चक्रवर्ती, महायज्ञ नायक, यज्ञ नायक, सन्मति इंद्रों और अन्य श्रावक श्राविकाओं ने भगवान का आहार सम्पन्न करवाया।
प्रचार संयोजक अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि सोमवार को आहार चर्या के बाद भगवान बैंड बाजों और जयकारों के साथ पुनः पांडाल में प्रवेश किया इस दौरान श्रद्धालुओं ने रत्न और पुष्पवर्षा कर भगवान का स्वागत किया। ज्ञान कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं संपन्न करवाई गई। मुनि शांतिनाथ को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ, जिस उपलक्ष्य में समोसरण की रचना की गई और जिस पर मुनि शांतिनाथ विराजमान हुए और अपनी मुखर अमृत वाणी से जगत के कल्याणक का संदेश दिया। इसके उपरांत मोक्ष कल्याणक की क्रिया विधि प्रारंभ करवाई गई, जिसमें आचार्य शशांक सागर महाराज, बाल ब्रह्मचारी पंडित धर्मचंद शास्त्री और ब्रह्मचारी जिनेश भैया के निर्देश में मोक्ष कल्याणक का पूजन अष्ट द्रव्यों के साथ किया गया, सोमवार को कुल 1111 बीज मंत्रों का गुणगान हुआ और अष्ट द्रव्य चढ़ाए गए। पूजन के पश्चात् आचार्य शशांक सागर महाराज द्वारा सभी प्रतिमाओं को सूर्य मंत्र देकर पाषाण से भगवान बनने की क्रियाएं सम्पन्न करवाई गई।
मुख्य संयोजक मनीष छाबड़ा ने बताया कि मोक्ष कल्याणक की क्रियाओं के बाद पांडाल से श्रीजी की नगर यात्रा का भव्य लवाजमों, जयकारों के साथ यात्रा निकाली गई, मुख्य रथ पर सभी प्रतिमाएं विराजमान करवाई गई और बाकी रथों पर इंद्र – इंद्राणियां को बैठाकर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। अध्यक्ष अनिल बोहरा ने बताया कि नगर शोभायात्रा के पश्चात् नवीन जिनालय का उदघाटन किया गया जिसके पश्चात् श्रीजी का कल्षाभिषेक किया गया, सर्व प्रथम आचार्य श्री ने भगवान शांतिनाथ का जलाभिषेक किया जिसके उपरांत सभी इंद्रो और श्रावकों महामस्तकाभिषेक कर नवीन वेदी पर मूलनायक शांतिनाथ भगवान की 21 इंच की प्रतिमा के साथ 11 इंच के शांतिनाथ भगवान और नेमीनाथ भगवान की प्रतिमा और 9 इंच के आदिनाथ भगवान, पदम प्रभु भगवान, चंद्रप्रभु भगवान, शांतिनाथ भगवान और मुनि सुव्रतनाथ की प्रतिमाओं को विराजमान किया गया और वेदी के शिखर पर कलशों की स्थापना कर कलशारोहण किया गया। इसके साथ ही क्षेत्रपाल बाबा और देवी पद्मावती की प्रतिमाएं को भी विराजमान किया गया।
