कोटा, 6 मार्च | विधायक संदीप शर्मा ने कहा है कि कोटा शहर में विभिन्न स्थानों पर वन्य क्षेत्रों में बसी हुई बस्तियों का वन भूमि से राजस्व में प्रत्यावर्तन किया जाये ताकि यहां रहने वाले लोगों को आधारभूत सुविधायें मिल सके। विधानसभा में नियम 295 के तहत मामला उठाते हुए उन्होंने कहा कि कोटा शहर की बरड़ा बस्ती, तालाब गांव बस्ती, अनन्तपुरा बस्ती, क्रेशर बस्ती, आंवली रोझडी, नयागांव, भदाना, लखावा, जगपुरा, सूर्यनगर जैसी आधा दर्जन से अधिक बस्तियां वर्षों से वन क्षेत्र में बसी हुई हैं। इनमें से कुछ आबादी तो रियासतकालीन है और वन विभाग के गठन से भी पहले की बसी हुई हैं। उन्होंने कहा कि उनके प्रश्न पर विधानसभा में वन विभाग ने स्वीकार किया है कि यह बस्तियां वर्षों से बसी हुई हैं जहां हजारों लोग निवास कर रहे हैं और अब यहां इतनी सघन बसावट को चुकी है कि यहां से लोगों को हटाया जाना किसी भी प्रकार से सम्भव नहीं है।
इन क्षेत्रों में रह रहे लोगों की पीड़ा का वर्णन करते हुए विधायक शर्मा ने कहा कि यहां लोग बड़ी कष्टदायक परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं। सड़क और नाली तो दूर यहां पर पेयजल के लिए पाईप लाईन भी नहीं है, लोग दूर से पानी भरकर लाते हैं और कई मायनों में लोग पाषाणकालीन परिस्थतियों में जीने को विवश हैं। उनके पास न अपने घर का स्वामित्व है और न ही वे बैंक से लोन ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में वन भूमि पर बसे हुए बूंदी शहर के आबादी क्षेत्रों की भूमि को भी प्रत्यावर्तन हो चुका है वहीं हाल ही में मध्यप्रदेश शासन द्वारा विशेष अभियान चलाकर 6 माह में 792 वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में प्रत्यावर्तन किया गया है। इसी तरह कोटा में वन क्षेत्र में बसी हुई बस्तियों का भी राजस्व भूमि में प्रत्यावर्तन करवाया जाये और इसके बदले वन विभाग को अन्य सिवायचक भूमि दे दी जाये ताकि इन क्षेत्रों का विकास हो सके और लोगों को मूलभूत सुविधायें उपलब्ध करवाई जाये सके।