जयपुर, 3 दिसम्बर । राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के ऑडिटोरियम में सोमवार को वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव “तरंग 2025” का शुभारंभ उत्साह और उमंग के साथ हुआ। 2 से 5 दिसम्बर तक चलने वाला यह चार दिवसीय आयोजन भावी डॉक्टरों की प्रतिभा, सृजनशीलता और देश की सांस्कृतिक विविधता का अनोखा संगम बन गया है। कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया।इस अवसर पर उन्होंने कहा आयुर्वेद भारतीय संस्कृति की आत्मा है। ‘तरंग’ जैसे आयोजन विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने के साथ-साथ भारतीय कला, संगीत और संस्कृति से गहराई से जोड़ते हैं। NIA के भावी डॉक्टर हर क्षेत्र में उत्कृष्टता का परिचय दे रहे हैं।
महोत्सव के पहले दिन आयोजित डांस प्रतियोगिता ने ऑडिटोरियम की ऊर्जा को नए स्तर पर पहुँचा दिया। देशभर से आए छात्रों ने राजस्थानी घूमर,गुजराती गरबा,हरियाणवी लोक नृत्य,महाराष्ट्र की लावणी,केरल की मोहिनीयट्टम, और शास्त्रीय नृत्यों में कुचिपुड़ी एवं कथक की शानदार प्रस्तुतियों से अपनी संस्कृति की चमक से मंच को जीवंत कर दिया। बॉलीवुड की धुनों और कृष्ण-भक्ति से जुड़े नृत्यों ने दर्शकों को इतनी देर तक बाँधे रखा कि पूरा सभागार तालियों से गूंजता रहा।
सांस्कृतिक समिति की अध्यक्ष डॉ. सुमन शर्मा ने कहा तरंग 2025 केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, यह विद्यार्थियों के व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल को निखारने वाला उत्सव है। यहाँ वे अपनी कला, संस्कृति और ऊर्जा को साझा कर ‘एक भारत–श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करते हैं। इस आयोजन को करने में संस्थान की सांस्कृतिक समिति के सभी सदस्यों का पूरा योगदान है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के यूजी, पीजी, पीएचडी के विद्यार्थी बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं, उनके साथ ही संस्थान में कार्यरत चिकित्सक, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी भी भाग ले रहे है।
