Saturday, December 6, 2025
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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान का स्वर्ण जयंती समारोह सम्पन्न

 जयपुर, 8 फरवरी | राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान मानद विश्वविद्यालय,जयपुर के 50वें स्थापना दिवस के अवसर पर 8 फरवरी, शनिवार को मुख्य समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य समारोह में प्रतापराव जाधव, माननीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री,  विधायक हवा महल बालमुकुंद आचार्य,  वैद्य जयंत देवपुजारी अध्यक्ष, एनसीआईएसएम, प्रो. संजीव शर्मा,  कुलपति,एनआईए प्रोफेसर प्रदीप कुमार प्रजापति, कुलपति राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय भवानी सिंह देथा, प्रमुख सचिव (आयुर्वेद), राजस्थान सरकार, डॉ. मनोज नेसरी, सलाहकार (आयुर्वेद) आयुष मंत्रालय ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्य समारोह कार्यक्रम में मंत्री महोदय के साथ सभी अतिथियों ने आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के 14 विभागों द्वारा आमजन के बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में किए गए नवाचार, शोध कार्यों एवं चिकित्सा सुविधाओं की  प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

प्रतापराव जाधव ने केंद्रीय औषधि परीक्षण सुविधा, माइक्रो सीटी, बायोमेडिकल लैब एवं आईपीआर सेल, एडवांस फिजियोलॉजी लैब, बाल विकास केंद्र, नशा मुक्ति केंद्र का लोकार्पण किया, एवं 4 पुस्तकों का भी विमोचन किया । इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, मानद विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के इस यादगार अवसर पर आप सभी के साथ यहां आकर मुझे बहुत प्रसन्नजता हो रही है। आयुष मंत्रालय, आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और सोवा रिग्पा जैसी प्रणालियों को बढ़ावा दे रहा है। वर्तमान में आधुनिक विज्ञान के मानकों के आधार पर आयुर्वेद के अनुसंधान पर आयुष मंत्रालय द्वारा तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है।   

भारत सरकार, आयुष मंत्रालय के माध्यम से आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार और वैश्वीकरण में सराहनीय भूमिका निभा रहा है, आज 150 से भी अधिक देश अपने नागरिकों के कल्याण और स्वास्थ्य के लिए किसी ना किसी रूप में आयुर्वेद दिवस का आयोजन कर रहे हैं तथा इस चिकित्सा  प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं। 1976 में एक आयुर्वेदिक कॉलेज से यह अब मानद विश्वविद्यालय बन गया है और देश में आयुर्वेद के क्षेत्र में अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय है। कई देश आयुर्वेद में शिक्षा और प्रशिक्षण दिलाने के लिए इस संस्थान की ओर आकर्षित हो रहे हैं लगभग 17 देशों के 80 से भी अधिक विदेशी छात्र हमारे संस्थान में स्नातक, स्नातकोत्तर और पोस्ट-डॉक्टरल कार्यक्रमों में अध्ययनरत हैं। यह विश्व स्तर पर संस्थान की उपस्थिति को दर्शाता हैं।

राजेश कोटेचा ने संबोधित करते हुए कहा कि यह संस्थान देश के आयुर्वेदिक शिक्षा के सर्वोच्च संस्थान में से एक है, वर्ष 1976 में आयुर्वेदिक कॉलेज के रूप में शुरू हुआ राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान अब बहुत विकसित हो चुका है और देश में आयुष प्रणाली में अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त कर चुका है। सबसे पहले मैं इस उपलब्धि को प्राप्त करने पर कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा जी और उनकी समर्पित टीम को बधाई देता हूँ। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की भूमिका आयुर्वेदिक शिक्षा, अनुसंधान और रोगोपचार व रोगी देखभाल गतिविधियों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और सर्वांगीण विकास को देखते हुए इसे 2019 में मानद विश्वविद्यालय घोषित हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस संस्थान को राष्ट्र को समर्पित किया गया, आज इस संस्थान में डिग्री, डिप्लोमा और एक दर्जन से अधिक लघु अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अलावा 14 विषयों में स्नातकोत्तर और पोस्ट-डॉक्टरेट शिक्षण और अनुसंधान कार्य हो रहा हैं। 

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