जयपुर फरवरी । अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत द्वारा वेतन विसंगति परीक्षण खेमराज कमेटी द्वारा किए गए सतही परीक्षण कर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट देने और भारी दबाव बनाने के बाद सरकार द्वारा रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर महासंघ एकीकृत द्वारा इसे कर्मचारियों के साथ किया गया छलावा बताते हुए विरोध स्वरूप दिनांक 06 फरवरी 2025 को वित्त भवन के समक्ष खेमराज कमेटी की रिपोर्ट की प्रतियां जलाई जाएंगी ।
महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को छलावा बताते हुए कहा कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए वेतन विसंगति एवं परीक्षण समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक तो कर दिया परंतु कर्मचारियों के लिए इस रिपोर्ट में कुछ भी नहीं दिया गया जिससे कर्मचारियों में बहुत बड़ा आक्रोश है। खेमराज कमेटी द्वारा कर्मचारियों की मांगों को एवं वेतन विसंगतियों को गंभीरता से नहीं लिया गया तथा महत्वपूर्ण मांगों की उपेक्षा की है जबकि इससे पूर्व गठित सावंत कमेटी तथा खेमराज कमेटी पर करोड़ों रुपया जनता का खर्च किया गया। कर्मचारी संगठनों का भी वार्ता हेतु दूर दराज जिलों से आने, जयपुर में ठहरने आदि पर लगभग 5000 से ₹10000 प्रति वार्ता खर्च हुआ है। खेमराज कमेटी के इतर राज्य सरकार ने भी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के वादा किया था लेकिन लगभग 14 माह होने के बावजूद सरकार ने इसका अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है। मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए दूसरी पदोन्नति पर ग्रेड पे 4200 सहित सचिवालय के समान वेतनमान, राज्य के समस्त कर्मचारियों को 9, 18 व 27 के चयनित वेतनमान के स्थान पर एसीपी 8,16, 24 व 32 में देने तथा निविदा कर्मचारियों के लिए रेक्सो की तर्ज पर आरएलएसडीसी का गठन हेतु कई दिनों से आंदोलन करते आ रहे हैं परंतु राज्य सरकार ने अभी तक इस पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया है । इस बात को लेकर राज्य भर के कर्मचारियों में बहुत बड़ा आक्रोश है और इसी को देखते हुए 6 फरवरी को जयपुर में खेमराज कमेटी की रिपोर्ट की प्रतियों की वित्त भवन के समक्ष होली जलाई जाएगी तथा आगे के कार्यक्रम में विभागों में दिनांक 7 एवं 8 फरवरी को द्वारा सभाओं के द्वारा संपर्क कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
छोटे कर्मचारियों पर अधिकारी एवं राजनेताओं द्वारा दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है, जिस पर रोक हेतु एक कानून बनना चाहिए तथा सभी बोर्ड निगम का निजीकरण बंद करते हुए नई भर्ती प्रक्रिया चालू करनी चाहिए। आइसोलेटेड पदों को पदोन्नति का लाभ एसीपी की अवधि से पहले दिए जाना चाहिए। कर्मचारियों की पदोन्नति में विलंब कर आर्थिक नुकसान करने वाले अधिकारियों के खिलाफ, राजकीय कार्य में बाधा पहुंचाने वाले नेताओं के खिलाफ कानून बनने चाहिए। सरकार द्वारा शीघ्र ही उचित नहीं निर्णय नहीं लिया जाता है तो विधानसभा का प्रदर्शन एवं आंदोलन भी शुरू करना पड़ सकता है।