जयपुर 16 अगस्त | राज्य सरकार ने बजट 2024-25 की घोषणा मे जलदाय विभाग को राजस्थान वाटर सप्लाई एवं सीवरेज कारपोरेशन को हस्तांतरित करने का फैसला किया है। महासंघ एकीकृत के घटक संगठन राजस्थान वाटर वर्क्स कर्मचारी संघ एवं अन्य संगठनों द्वारा उक्त आदेश को निरस्त करने बाबत आंदोलन धरना प्रदर्शन भी लगातार किया जा रहा है । परंतु जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव द्वारा आंदोलन को कुचलने हेतु परिपत्र जारी कर कर्मचारियों के सभी प्रकार के अवकाश पर रोक लगाते हुए आंदोलन करने पर द राजस्थान एसेंशियल सर्विस मेंटिनेस एक्ट, 1970 (रेस्मा) के तहत कार्यवाही करने के आदेश जारी किए गए हैं जो की कतई न्यायोचित नहीं है और हिटलर शाही का प्रतीक है |

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने बताया कि लोकतंत्र में अपने हकों के लिए श्रमिक हितों में आंदोलन करना अपराध नहीं है | लेकिन सरकार के अफसर अपनी मनमानी करके सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे है जिसका एक जीता जागता उदाहरण जलदाय विभाग के शासन सचिव वह आदेश जिसमे रेस्मा लगाने का आदेश है | उन्होंने बताया कि जलदाय विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को टर्मिनेट कर के कारपोरेशन में शामिल किया जायेगा | इसकी क्या गारंटी है कि जिन कर्मचारियों को टर्मिनेट किया जायेगा उन्हें वापस कारपोरेशन में शामिल किया जायेगा | जलदाय विभाग के कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है इसलिए वह आंदोलन का रुख कर रहे है और रेस्मा का विरोध कर रहे है | राज्य सरकार कभी अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश जारी कर एवं कभी रेशमा लगाने का आदेश जारी कर राज्य कर्मचारियों में भय पैदा कर रही है।

वही संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुलदीप यादव ने कहा कि जो आदेश शासन सचिव ने निकला वह गलत क्योकि रेस्मा जब लगाया जाता है जब कर्मचारी हड़ताल पर हो और जनता के कार्य प्रवाहित हो रहे हो या कोई एमरजेंसी तब यह लागु किया जाता है लेकिन अभी तो जलदाय विभाग के कर्मचारी बिना किया कार्य को बाधित कर अपनी मांगो का सरकार के समक्ष पंहुचा रहे है | फिर रेस्मा लागु करने की कहा आवश्यकता आ गयी | हम सब कर्मचारी इस आदेश का विरोध करते है | महासंघ एकीकृत सरकार से मांग करता है कि सरकार राज्य कर्मचारियों पर दमनात्मक कार्यवाही बंद करते हुए उक्त आदेशों को वापस लेवे अन्यथा महासंघ एकीकृत को मजबूर होकर आंदोलनात्मक कदम उठाना पड़ेगा जिनकी समस्त जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की होगी।
