Thursday, December 11, 2025
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कर्मचरियो के साथ हुआ छल सरकार ने 5 वर्ष तक लटकाए रखा आचार संहिता लगने के साथ अब कुछ दिया तो इस वर्ष में इसकी क्रियान्विति मुश्किल



जयपुर। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत ने आज सरकार पर कर्मचारियों के साथ छल किए जाने का आरोप लगाया है एकिकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने एक व्यक्तत्व जारी कर बताया कि सरकार 5 साल तक कर्मचारियों को फील गुड करवाते रही कि उनकी मांगी पूरी होने जा रही है परंतु अब जब आचार संहिता में चंद दिन शेष रह गए हैं तब तक भी किसी भी संवर्ग को कुछ नहीं मिला है । पुरानी पेंशन दी गई है परंतु उसमें भी दिनांक 1 अप्रैल 2022 से पूर्व सेवानिवृत होने वाले कर्मचारी लाखों रुपए जमा करवा कर पेंशन लेने के लिए मजबूर है। उसके लिए भी उन्हें बीमा एवं पेंशन विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। मंत्रालयिक संवर्ग द्वारा निरंतर आंदोलन किए बावजूद उनका ग्रेड पे संशोधन कर दूसरी पदोन्नति 4200 नहीं की गई है ।

इसी प्रकार मंत्रालयिक संवर्ग का 2013 के बाद चौथा कैडर रिव्यू होने जा रहा है परंतु इसमें भी संस्थापन अधिकारी के वर्तमान पदों में मात्र 0.3% की वृद्धि की जा रही है तथा प्रशासनिक अधिकारी एवं अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के पदों में भी एक-एक प्रतिशत की वृद्धि की जा रही है जबकि वर्ष 2013 में संस्थापन अधिकारी के 1000, प्रशासनिक अधिकारी के 5000 तथा अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के 10000 पद क्रमोन्नत किए गए थे। अब किए जाने वाले कैडर रिव्यू में संस्थापन अधिकारी के कुल पद लगभग 900, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के 2750 एवं अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के 6150 पद क्रमोन्नत किए जाने की संभावना है जो कि वर्ष 2013 से बहुत ही कम और अपर्याप्त है। एक आम राज्य कर्मचारी सेवानिवृत्ति पर एक साथ मिलने वाले पेंशन परिलाभ ग्रेच्युटी कम्युटेशन एवं उपार्जित अवकाश की राशि से बच्चों की शादी, कर्जा उतारने या मकान का कार्य करवाता है । आज ग्रेच्युटी, काॅम्यूटेशन, उपार्जित अवकाश, राज्य बीमा, जीपीएफ आदि के समस्त भुगतान ढाई से तीन माह विलंब से किया जा रहे हैं । इससे कर्मचारियों का आर्थिक प्रबंधन बिल्कुल डगमगा गया है । यहां तक कि सेवारत कर्मचारियों को उपार्जित अवकाश के बदले नगद भुगतान तथा जीपीएफ और बीमा से लिए जाने वाले ऋण का भुगतान भी एक से दो माह में किया जा रहा है। आरजीएचएस में अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद मात्र ₹1000 की प्रतिदिन दवाई स्वीकृत की गई है और पांचवें दिन उसको जबरदस्ती अस्पताल से निकाल दिया जाता है। राज्य के कर्मचारी जगत में ऐसी त्रासदी पूर्ण स्थिति कभी नहीं आई और सरकार फिर भी ओपीएस के नाम पर कर्मचारियों को फील गुड करवाने का प्रयास कर रही है । कर्मचारियों को ऑफिस का लाभ सेवा निवृत्ति पर मिलेगा तब तक उसको अपना परिवार पालने के लिए उचित मासिक वेतन की राशि चाहिए जिससे सरकार नजर अंदाज कर रही है।

राठौड़ ने कहा कि यदि सरकार ने मंत्रालयिक संवर्ग सहित सभी सेवाओं की मांगे अगले तीन दिवस में पूरी कर उसकी कार्रवाई सुनिश्चित की नहीं की तो सरकार को चुनाव में कर्मचारियों के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ेगा ।

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