जयपुर। श्री सनातन धर्म महोत्सव समिति की रामलीला मैदान पर नौ दिवसीय रामलीला का मंचन किया जा रहा है यह कार्यक्रम संरक्षक अलबेली माधुरी शरण महाराज, मार्गदर्शक भगवती प्रसाद चौधरी, प्रवीण बड़े भैया के सान्निध्य में हो रही है। जिसमें राम-केवट संवाद, दशरथ मरण और भरत आगमन सहित विविध प्रसंगों का मंचन किया गया। मथुरा के श्री सर्वेश्वर राम कृष्ण लीला मंडल के निर्देशक सत्यदेव सर्वेश्वर चतुर्वेदी के निर्देशन में चालीस से अधिक कलाकारों ने अभिनय की छाप छोड़ी।
प्रारंभ में श्री सनातन धर्म महोत्सव समिति के अध्यक्ष नवनीत मित्तल, उपाध्यक्ष ज्योति खंडेलवाल, मोहन लाल अग्रवाल, चंद्र प्रकाश राणा, अजय यादव, महामंत्री हरीश शर्मा, कोषाध्यक्ष पूनम बंसल एवं अन्य ने भगवान राम-सीता की आरती उतारी। प्रसंगानुसार जब राम, लक्ष्मण, सीता, सुमंत सहित नदी के तट पर पहुंचते हैं। तब राम जी केवट से कहते हैं कि हे केवट हमें गंगा पार जाना है आप अपनी नाव से हमें गंगा पार उतार दो। इस दौरान मागी नाव न केवटु आना कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना, चरन कमल रज कहुं सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई लोग कहते हैं कि तुम्हारे चरण कमलों की धूल ऐसी जड़ी-बूटी है जो पत्थर को भी मनुष्य बना सकती है। केवट का अपनी नाव के बारे में भय प्रकट करते हैं।
केवट राम से कहते है कि तुम्हारे छूते ही पत्थर की शिला सुंदरी स्त्री हो गई। मेरी नाव तो काठ की है, उसमें क्या कहा जाए। काठ पत्थर से कठोर तो होता नहीं। कहीं मेरी नाव भी मुनि की स्त्री होकर उड़ न जाए अथवा रास्ता रुक जाए, जिससे मैं लुट जाऊंगा। केवट राम से चरण धोने की विनती इस प्रकार करते हैं। मीडिया समन्वयक गुंजन वशिष्ठ ने बताया कि रविवार को सीताहरण और शबरी मिलन की कथा होगी।
