जयपुर, 15 मई । राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत दाखिले को लेकर राज्य सरकार और मयूर स्कूल की अपीलों पर गत सप्ताह शुक्रवार को आश्चर्यचकित कर देने वाला फैसला सुनाया था | जिससे प्रदेश के ढाई लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य अधर झूल में पढ़ गया है | आरटीई योजना के अनुसार जरूरतमंद विद्यार्थियों को निजी स्कूलों में दाखिला मिलना था किंतु अब यह आदेश विद्यार्थियों की शिक्षा छीन रहा है। संघ पहले ही इस फैसले का विरोध कर चुका है और संघ के विधि मामलात मंत्री अधिवक्ता अमित छंगाणी और सहमंत्री खुशबू शर्मा के निर्देशन में समीक्षा कमेटी गठित कर चुका है अब समीक्षा करने के पश्चात संघ ने राज्य सरकार और मयूर स्कूल की अपील में पार्टी बनकर अभिभावकों का पक्ष रखने का फैसला लिया है।
संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश के बाद प्रदेशभर के निजी स्कूल हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर कक्षा 1 में विद्यार्थियों के दाखिले नहीं ले रहा है और 8 जुलाई के बाद स्थिति स्पष्ट करने की बात बोल रहे है | जबकि निजी स्कूलों की मुख्य लड़ाई कक्षा नर्सरी में दाखिले को लेकर थी जिसमें राज्य सरकार पुनर्भरण राशि नहीं दे रही है, किंतु जिसमें पुनर्भरण राशि मिल रही है उसके बावजूद दाखिले नहीं ले रहे है। इस वर्ष आरटीई के तहत तीन लाख 9 हजार विद्यार्थियों ने दाखिले के लिए नामांकन भरा है जिसमें से अकेले कक्षा 1 में ढाई लाख से अधिक विद्यार्थियों के आवेदन है और यह आवेदन अभिभावकों ने जबरदस्ती नहीं दिए है शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार दिए है | विभाग और मंत्रालय द्वारा लॉटरी तक निकालकर विद्यार्थियों को दाखिला आवंटित कर दिए उसके बाद इस तरह का निर्णय आना अभिभावकों के जख्मों पर नमक छिड़कने के सामान है। ऐसे अब आरटीई से जुड़े अभिभावकों ने सड़क से लेकर कोर्ट तक में संघर्ष करने का निर्णय लिया है।