
पुनीत माथुर/जोधपुर. आज तक आपने सुना होगा कि देवताओं को मिठाई और फलों का भोग लगता है. लेकिन जोधपुर में एक ऐसा मंदिर है जहां पर मिर्ची बड़े का भोग लगता है. मिर्ची और बेसन सहित कई मसालों से बने मिर्ची बड़े को देवता के सामने चढ़ाया जाता है.
जोधपुर में भूतेश्वर वन खंड है, यहां महाआत्माओं की समाधि है. इनमें से पांचवें नंबर पर संत सोमेश्वर गिरी बाबा के चमत्कार के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं. उग्र स्वभाव के कारण उन्हें जबर बाबा कहा जाता था. उनका नाम जगन्नाथ के रूप में प्रसिद्ध हुआ. मान्यता है कि बाबा अपने जीवन काल में कभी भी इस चहारदीवारी से बाहर नहीं गए और अपना भोजन तक खुद ही बनाकर खाते थे. उनके भक्त एक दिन उनके लिए मिर्ची बड़ा ले आए.
हर गुरुवार को लगती है भक्तों की भीड़
बाबा ने मिर्ची बड़े को एक तरफ से तोड़कर थोड़ा सा खाया और बाकी भक्तों में प्रसाद के रूप में बांट दिया. उसी दिन से जबर बाबा को मिर्ची बड़े का प्रसाद चढ़ने लगा. जबर बाबा का देवलोक गमन शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन हुआ था और उसके बाद हर गुरुवार को बड़ी संख्या में भक्त जबर बाबा प्रतिमा के आगे मिर्ची बड़े का प्रसाद चढ़ाने के लिए आते हैं. शाम तक यहां मिर्ची बड़ों का ढेर लग जाता है. मान्याता है कि जबर बाबा को मिर्ची बड़े का प्रसाद चढ़ाने वाले की मनोकामना पूरी होती है.
राजस्थानियों को प्रिय हैं मिर्ची बड़े
मिर्ची बड़े और मावे की कचोरी का इजाद जोधपुर में ही हुआ था. मिर्ची बड़ा तो यहां इतना प्रसिद्ध है कि सर्दियों और बारिश के मौसम में को खाया ही जाता है, गर्मियों के मौसम में भी लोग रोज लाखों रुपए के मिर्ची बड़े खा जाते हैं. वहीं इस तरह प्रसादी में मिर्ची बड़ा का मिलना जोधपुर की धार्मिक आस्था को देश-प्रदेश में अलग ही पहचान दिलाता है.
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FIRST PUBLISHED : July 27, 2023, 22:06 IST
