जयपुर, 23 नवम्बर। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान,मानद विश्विद्यालय के पंचकर्म विभाग द्वारा पंचकर्म थेरेपी (वमन विरेचन) पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन हुआ। समारोह का अध्यक्षता करते हुए कुलपति (कार्यवाहक ) प्रो. पी हेमंता कुमार ने आयुर्वेद एवं पंचकर्म की जानकारी देते हुए वर्तमान समय मे पंचकर्म उपक्रमो के मानकीकरण की नितांत आवश्यकताओ पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला की सराहना की। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में पंचकर्म चिकित्सा का बहुत बड़ा महत्व है। पंचकर्म के द्वारा कई रोगों के उपचार किया जाता है। पंचकर्म की प्रक्रिया का पूरे देश में एक मानकीकरण होने से आमजन को कई रोगों के निदान में पंचकर्म चिकित्सा पद्धति का लाभ मिल सकेगा।
पंचकर्म विभागाध्यक्ष डॉ गोपेश मंगल ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य पंचकर्म उपक्रमों के मानको को पूरे देश के लिये तैयार किया गया है, जिससे देश में पंचकर्म प्रोसिजर में एकरुपता आए तथा सभी देशवासियों को कई रोगों के निदान में पंचकर्म चिकित्सा का समान लाभ मिल सके। कार्यशाला में पंचकर्म चिकित्सा के प्रधान कर्म वमन कर्म विरेचन कर्म मानकीकरण किया गया । राष्ट्रीय कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से 14 विशेषज्ञ सम्मिलित हुए, विशेषज्ञों द्वारा , पूर्वकर्म,वमन विरेचन प्रधान कर्म ,वमनविरेचनकर्म औषध, वमन विरेचन व्यापद, व्यापद चिकित्सा आदि पंचकर्म विषयो पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई |
राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह मे , कुलसचिव महोदया प्रो. अनीता शर्मा, प्रो अनुपम श्रीवास्तव ,पंचकर्म विभागाध्यक्ष डॉ. गोपेश मंगल, डॉ. सर्वेश कुमार सिंह, डाॅ. क्षिप्रा राजोरिया, डॉ. विपिन तंवर, पंचकर्म वैद्य डॉ. वैभव बापट और डॉ. अनुश्री डी.उपस्थित रहे।
