जयपुर। देश में गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों का बेहतर भविष्य बनाने को लेकर आरटीई (राइट टू एजुकेशन) कानून बनाया गया था, जिसके तहत निजी स्कूलों में पीपी 2 और पीपी 4 कक्षा में 25 फीसदी एडमिशन गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों के लिए रिजर्व किए गए थे। लेकिन कुछ सालो से यह कानून उन गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए खिलवाड़ बनता जा रहा है। वर्तमान 2024-25 सत्र के लिए जहां शिक्षा विभाग सभी जिलों में नए एडमिशन को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर रहा है वही दूसरी तरफ इस नोटिफिकेशन के साथ-साथ 30 हजार से अधिक बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेलने की भी तैयारी कर रहा है।
संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा की शिक्षा विभाग केवल पुराने 33 जिलों में ही आरटीई की प्रक्रिया के तहत नोटिफिकेशन जारी कर रहा है जबकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पूर्व नए बने 17 जिलों को लेकर कोई संज्ञान नही ले रहा है जिससे 30 हजार से अधिक बच्चों का भविष्य स्पष्ट तौर पर खतरे पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है।
प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू के अनुसार शिक्षा विभाग निजी स्कूलों के दबाव में कार्य कर सीधे तौर पर उन्हें फायदा पहुंचाने का कार्य कर रहा है। प्रदेश में बने नए बने 17 जिले सरकार ने बनाए है, जिसके बकायदा गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो चुके है और उन सभी जिलों में प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी नियुक्त कर दी गई है उसके बावजूद आरटीई की प्रक्रियाओं को उन जिलों में पालन करने से रोका जा रहा है, उदाहरण के तौर पर कहे तो नए 17 जिलों में प्रत्येक जिले में अगर चार सौ निजी स्कूलों का आंकलन करे कुल 6800 निजी स्कूलों की संख्या होती है प्रत्येक स्कूल में अगर 5 बच्चो को भी आरटीई के तहत एडमिशन मिलता है तो संख्या 34 हजार की होती है। नए जिलों में आरटीई के तहत एडमिशन प्रक्रिया को रोका जाना मतलब गरीब और जरूरतमंद बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना होगा। संघ मांग हैं कि सभी 50 जिलों में यह प्रक्रिया अपनाई जाए नही तो हमको सड़को पर उतरना पड़ेगा।