जयपुर | आज की भाग दौड़ जिंदगी में आम आदमी अपनी सेहत को लेकर बड़ा उदासीन है | इसमें भी युवा अधिक ही लापरवाह है | वैसे तो कोरोना काल के बाद आम आदमी ने अपनी दिनचर्या में थोड़ा बदलाव करने की और आकर्षित तो हुआ है लेकिन वह पूरी तरह से इस अमल नहीं कर पा रहा है | आज कल युवा वर्ग जो नौकरी कर रहा है ऑन लाइन सर्विसेस के माध्यम से खाना मांगता है जिसमे अधिकतर फ़ास्ट फ़ूड मगाया जाता है जो सेहत के लिए हानिकरक होता है |
कोरोना के बाद से पुरे भारतवर्ष में आयुर्वेद के प्रति रुझान बढ़ा है | यदि हम अपने दैनिक जीवन में कुछ चीजों को अपने खाने में शामिल कर ले तो हम बहुत सी बीमारियों से दूर रह सकते है | भारत में जन्म लेने और भारतीय संस्कृति में पले बढ़े हम जनमानस को क्यों ना हमारी अनमोल धरोहर आयुर्वेदिक खुराक का एक व्यंजन रूप में बदल बदल के हम दैनिक भोजन में शामिल करे जिनमे दाना मेथी,करेला, ग्वारपाठा , मिस्सा आटा,तुलसी का पत्ता, लोंग ,काली मिर्च, गुड, घीया ,काशीफल आदि है | अगर हम रोजाना इनमे से या इस तरह के एक खाद्य पदार्थ की मात्रा भोजन में बढ़ा दे तो यकीन मानिए की पूरी जिंदगी में एंटी बायोटिक, और अन्य सप्लीमेंट्स की जरूरत ना के बराबर पड़ेगी ।


अब चूंकि हमारा रोजाना का भोजन मैदा ,घी, तेल, शक्कर के इर्द गिर्द ही तैयार होता है जिसके कारण हमारी पाचन शक्ति जीर्ण होती जा रही और हम बीमारियों के आधीन और दवाइयों के आसक्त होते जा रहे है। अगर हम हमारी संस्कृति में वर्णित तरीके से भोजन ले तो हमारा जीवन स्वस्थ रहेगा | हम सबको इसके प्रति जागरूक होना होगा विशेषकर युवा वर्ग को इसके फायदे बताते हुए मोड़ना होगा | वही आये दिन यह सुनने में आता 24 से 40 वर्ग युवाओ में शुगर, बीपी, और हार्ट अटके के मामले सामने आ रहे है | यह सब हमारी दिनचर्या और भोजन के कारण होता है यदि इसमें थोड़ा सा परिवर्तन कर ले तो हमें कम से कम डॉक्टरों के पास जाना पड़ेगा |
