जयपुर। महर्षि दधीचि देहदान यज्ञ उपक्रम के अंतर्गत महर्षि दधीचि जयंती के उपलक्ष पर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के रचना शरीर विभाग द्वारा देहदानियों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी कमल संचेती, संजय शर्मा, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलपति संजीव शर्मा, कुलसचिव ए रामामूर्ति, प्रोफेसर कमलेश कुमार शर्मा, जेपी शर्मा, प्रोफेसर सुनील यादव ने उद्घाटन किया।कार्यक्रम में सम्मानित अतिथियों द्वारा “अमरत्व” एक यात्रा जीवन के उपरांत पुस्तक का विमोचन किया। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को वर्ष 2019 से अब तक देहदान करने वाले 21 देहदानियो के परिवारजनों और देहदान हेतु प्रतिज्ञा लेने वाले 27 व्यक्तियों का शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। समाजसेवी कमल संचेती ने संबोधित करते हुए कहा देहदान आसान काम नहीं है लोग ध्यान करना तो चाहते हैं पर उनको इसकी सही जानकारी नहीं है की देहदान कहां करनी है। सर्जरी को सीखने के लिए सबसे ज्यादा देहदान की आवश्यकता होती है और हम इस और प्रयासरत हैं। कुलपति द्वारा देहदान के प्रति सम्मान और उनकी याद में वृक्षारोपण कार्यक्रम की सराहना की।
कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा ने कहा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान सदैव देहदानियो के प्रति ऋणी रहेगा। हमें समाज में देहदान की भ्रांतियों को दूर करना होगा। महर्षि दधीचि के देहदान के त्याग को लोक कल्याण के लिए बताते हुए देहदान के प्रति लोगों को भी जागरूक करना होगा। देहदान के साथ अधिक से अधिक अंगदान में भी हमें भाग लेना चाहिए, देह का उपयोग हो बस यही हमारी मंशा होनी चाहिए। कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर सुनील यादव ने बताया की राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में देहदान हेतु समय-समय पर समाजसेवियों, समाज सेवी संगठनों की सहायता ली जाती है और आमजन को संस्थान में देहदान के प्रति जागरूक किया जाता है। देहदानियों के परिवारजनों को संस्थान द्वारा समय-समय पर कई कार्यक्रमों के माध्यम से सम्मानित किया जाता है और संस्थान के धनवंतरी उपवन में उनके नाम से पौधारोपण भी किया जाता है।