दूदू (जयपुर), 26 मई | राजस्थान के दूदू क्षेत्र में एक चौंकाने वाला भूमि घोटाला उजागर हुआ है। दूदू ग्राम पंचायत की पूर्व सरपंच और वर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती कमलेश देवी जाट ने पंचायत की करोड़ों की भूमि नियमों को ताक पर रखकर अपने परिजनों और निकटस्थ लोगों को बाँट दी गई। यह कार्य राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1996 के नियम 157(1) की खुली अवहेलना करते हुए किया गया, जिससे प्रशासनिक और कानूनी हलकों में खलबली मच गई है। मामले का पता चलते ही जिला कलेक्टर जयपुर जितेन्द्र सोनी ने अतिरिक्त जिला कलक्टर दूदू गोपाल परिहार की अभिशंषा पर 3 सदस्य मुकेश कुमार मूंड अतिरिक्त जिला कलक्टर जयपुर शहर उत्तर, विनोद पुरोहित , उपनिदेशक स्थानीय निकाय विभाग जयपुर,शेर सिंह लुहाड़िया अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, जयपुर की कमेटी गठित कर 3 दिवस में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए हैं।
चारागाह भूमि को बनाया पारिवारिक संपत्ति
दूदू पंचायत क्षेत्र के कांकरिया नाड़ा की भूमि को 2011-12 में ‘गैर मुमकिन आबादी’ के रूप में घोषित किया गया था। पूर्व सरपंचों की मंशा थी कि इस भूमि का उपयोग भूमिहीनों के पुनर्वास, शासकीय कार्यालयों, अथवा सार्वजनिक उपयोग हेतु किया जाएगा। परंतु वर्ष 2020 में सरपंच बनी कमलेश देवी जाट ने इस उद्देश्य को पूरी तरह पलट दिया। वर्ष 2023 में उन्होंने उस भूमि पर, जिस पर न कब्जा था, न निर्माण, लगभग 50 से अधिक पट्टे जारी कर दिए। यह सभी पट्टे राजस्थान पंचायती राज नियम 157(1) के स्पष्ट उल्लंघन हैं, जिसके तहत केवल उन्हीं व्यक्तियों को पट्टा दिया जा सकता है, जो पहले से भूमि पर क़ब्ज़ा कर निर्माण कर चुके हों।
पंचायती राज नियम 157(1) के अनुसार पंचायत ऐसी भूमि का पट्टा केवल उन्हीं लाभार्थियों को दे सकती है, जिन्होंने उस भूमि पर पूर्व से क़ब्ज़ा कर लिया हो और कोई निर्माण कार्य कर लिया हो। किन्तु जिस जमीन के पट्टे जारी किये गये वहा ना तो किसी का कोई कब्ज़ा था ना उस जमीन पर कोई निर्माण था | इस जमीन का ना तो कोई सर्वे हुआ है और ना ही ग्राम सभा या तहसील से अनुमोदन। यह पूरी प्रक्रिया अवैध, मनमानी, और राजनैतिक शक्ति का दुरुपयोग है।
दूदू पंचायत की भूमि घोटाले की यह घटना दर्शाती है कि किस प्रकार निचले स्तर पर सत्ता के दुरुपयोग से जनता की संपत्ति छिनी जा रही है। जो ज़मीन गरीबों की आशा थी, वह अब सत्ता के सगे-संबंधियों की जागीर बन चुकी है। यह महज़ ज़मीन का घोटाला नहीं, यह जनविश्वास की हत्या है। दूदू की जनता अब चुप नहीं है। प्रशासन की निष्क्रियता यदि बनी रही, तो यह मामला आने वाले समय में राजनीतिक भूचाल का कारण बन सकता है।