जयपुर, 8 मई। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत सभी चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ के अवकाश आगामी आदेशों तक निरस्त कर दिए हैं। साथ ही, राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम में अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर सभी आवश्यक इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने बताया कि सीमावर्ती एवं अन्य क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन की दृष्टि से विभाग ने एहतियान कदम उठाते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। इसके तहत विभाग में कार्यरत समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अवकाश तत्काल प्रभाव से निरस्त किए गए हैं। साथ ही, सभी चिकित्सकों, नर्सिंगकर्मियों एवं पैरामेडिकल स्टाफ को निर्देश दिए गए हैं कि वे सक्षम स्तर से अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोडें।
श्रीमती राठौड़ ने बताया कि आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत राज्य स्तर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशालय में स्थापित कंट्रोल रूम (0141-2225624) में सुचारू व्यवस्था हेतु 8 अधिकारियों एवं कार्मिकों को नियोजित किया गया है। ये सभी अधिकारी बीकानेर एवं जोधपुर संभाग के समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए चिकित्सा संस्थानों में मानव संसाधन, ब्लड, दवा, जांच, उपकरण, ओटी, आईसीयू, एम्बुलेंस सहित अन्य संसाधनों की समुचित उपलब्धता एवं संचालन सुनिश्चित करेंगे। निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि कंट्रोल रूम के प्रभारी अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ. प्रवीण असवाल होंगे। मुख्यालय में स्थित विभिन्न अनुभागों के अधिकारी एवं कार्मिक व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने में आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे और चिकित्सा संस्थानों में संसाधनों के संबंध में नियमित मॉनिटरिंग करेंगे।
विभाग ने सीमावर्ती 12 जिलों हनुमानगढ़, गंगानगर, बीकानेर, चूरू, जैसलमेर, जालोर, सिरोही, पाली, बाड़मेर, बालोतरा, जोधपुर एवं फलौदी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को अपने क्षेत्र के चिकित्सा संस्थानों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इन जिलों के सीएमएचओ को निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी चिकित्सकों एवं कार्मिकों के अवकाश निरस्त करते हुए उन्हें मुख्यालय पर रहने हेतु पाबंद करें। जिला स्तर पर 24 घंटे कंट्रोल रूम संचालित करें। आशा, एएनएम एवं सीएचओ के माध्यम से सीमावर्ती गांवों की गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, विकलांग एवं गंभीर व क्रोनिक बीमारियों से ग्रसित रोगियों की लाइन लिस्ट तैयार कर इन्हें अपनी निगरानी में रखें। सभी चिकित्सा संस्थानों पर दवाओं, उपकरणों एवं जांचों की समुचित उपलब्धता हो। साथ ही, चिकित्सा उपकरण क्रियाशील स्थिति में हों।