जयपुर, 25 फरवरी । भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित *”देश का प्रकृति परीक्षण” अभियान के प्रथम चरण का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह मुंबई में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में
मुख्य अतिथि केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव, सार्वजनिक आरोग्य एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रकाश अबिटकर, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी, और “देश का प्रकृति परीक्षण” अभियान के सचिव डॉ. आशुतोष गुप्ता उपस्थित रहे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा को देश का प्रकृति परीक्षण अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं समर्पित सेवा के लिए तीन प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार प्रदान किए गए। संस्थान ने पूरे देश में स्नातकोत्तर महाविद्यालयों की श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त कर अभियान में अपनी सक्रिय भागीदारी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए संस्थान को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
इसके साथ ही, राजस्थान राज्य ने अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए देश में संख्यात्मक दृष्टि से चतुर्थ स्थान प्राप्त किया, जिसके लिए राज्य को भी प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। राजस्थान प्रदेश की ओर से प्रशस्ति पत्र प्रोफेसर संजीव शर्मा ने प्राप्त किया।
प्रोफेसर संजीव शर्मा, कुलपति, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर एवं सदस्य, सलाहकार समिति, “देश का प्रकृति परीक्षण” अभियान को भी इस अभियान में उनकी उत्कृष्ट भागीदारी एवं समर्पण के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने बतौर सलाहकार समिति के सदस्य इस अभियान को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई। उनके जागरूक प्रयास एवं समर्पण को प्रेरणादायक बताते हुए आयोजकों ने उनकी सराहना की। अभियान के अंतर्गत राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर द्वारा 193.52% की स्ट्राइक रेट के साथ 2,38,609 लोगो का प्रकृति परीक्षण करने पर एनसीआईएसएम द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को प्रथम स्थान दिया गया।
कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा ने संस्थान को प्रथम स्थान के लिए सम्मानित करने पर “देश के प्रकृति परीक्षण अभियान” से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का आभार जताते हुए कहा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान द्वारा बड़ी संख्या में आमजन का प्रकृति परीक्षण करने में संस्थान के चिकित्सको, विद्यार्थियों, अधिकारियों ओर कर्मचारियों की मेहनत ओर सरकारी एवं निजी संस्थानो, शिक्षण संस्थाओं, समाजसेवी संगठन एवं इस अभियान में जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का सहयोग मिला जिसके कारण आज राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को प्रथम स्थान के लिए सम्मानित किया गया है।